एक ही बात की रट लगाना
उसके दाने बाएँ भी न झांकना
है कहाँ का न्याय यह तो बताना
क्या यह जबरजस्ती है नहीं |
मुझे कोई एतराज नहीं
तुम्हारी ऐसी जिद पर
पर लोग कितनी हँसी उडाएंगे
कुछ तो सोचा करो|
मुझ् में तुझ में दूरी
यदि बढ़ने लगी
कोई साथ न देगा हमारा
हम अकेले ही रह जाएगे
इस भाव सागर में |
मेरा कहा मानो
सबके साथ मिल कर चलो
फिर अकेलापन न लगेगा
कोई तो सच्चा मित्र होगा |
आशा
उचित परामर्श देती सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएं