01 दिसंबर, 2021

मन का मंथन


 

कभी अहम् कभी गरूर

कहाँ से आते आम आदमीं में

क्या कोई विशेष कक्षा होती

इन बातों की शिक्षा के लिए |

जब कक्षा में पढ़ने जाते   

कुछ भी अच्छा नहीं सीख पाते  

दुर्गुण  पीछा नहीं छोड़ते

चलती राह में भी उसे  पकड़ते |

उन पर  जब आत्म मंथन करते

उन विचारों पर मनन करते

मन ग्लानि से भर जाता

क्षण भर में ही मन में घर कर जाता |

जब अपनी आदतों का विश्लेषण करते

खुद से वादा करते बारम्बार

गलत राह पर न चलने का 

मन को वश में रखने का   |

यही यदि मन में दृढ़ता होती  

दृढ़ संकल्प लेते कुछ गलत न करते

  पलट कर न देखते उस ओर 

तभी सफल जीवन होता

 पैर न फिसल पाता |  

आशा 

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