जीवन गीत
मधुर है संगीत
प्यारा लगता
उदासी नहीं
प्रसन्न है चेहरा
भला लगता
सुरति नहीं
जाने कब देखी है
तेरी झलक
मन का मीत
प्यारा लगने लगा
मन में बसा
कहना क्या है
मन में बस गया
तेरा चेहरा
प्यार दुलार
सभी स्थानों पर है
सोचा न था
शायरी लिखी
गीत गजलें पढ़ी
तुष्टि न हुई
मन चाहता
मोहक लगता है
अर्ध रात्रि में
ख़याल नेक
समझ आए यदि
होता आल्हाद
दूर सड़क
चमका है आदित्य
भोर बेला में
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (07-12-2021 ) को 'आया ओमीक्रोन का, चर्चा में अब नाम' (चर्चा अंक 4271) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |
आपकी हर एक प्रस्तुति बहुत ही शानदार होती है आदरणीय मैम
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
हटाएंबहुत सुंदर हाइकु
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
सुंदर भाव ! कई हाइकू में वर्णों की संख्या गलत है ! ठीक कर लीजिये !
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