ऋतु वासंती
पहने पीले वस्त्र
आई धरती
आया वसंत
मेरे अंगना में ही
भला लगता
पूजन किया
नैवेध्य बनाया है
बड़े स्नेह से
है सरस्वती
सब से प्रिय मुझे
कमलासनी
ऋतु वासंती
मोहक हवा चली
आसमान में
माँ सरस्वती
तुम्हें अर्पण किया
दिल अपना
पीत वसन
धारण कर लिए
मोहक लगे
ज्ञान दायनी
मन को शुद्ध करे
माँ सरस्वती
वसंत पंच्मी
दिन सरस्वती का
पूजन करो
है श्रद्धा भाव
रचा बसा धरा के
कण कण में
पांच वर्ष में
पट्टी पूजन हुआ
शिक्षा प्रारम्भ
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 20 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुप्रभात
हटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |
बहुत सुन्दर हाइकु ! पहला वाला चेक कर लें ! दूसरी पंक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
सुंदर लेखन...।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंबहुत सुंदर हायकू।
हटाएंधन्यवाद ज्योति जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंउत्तम
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