बड़े अरमां रहे तुम से
कि तुम पूरा करोगे
अधूरे अरमान उसके
बीते कल में जो सजाए उसने |
पर तुम भूल गए
न जाने कैसे हुए बेखबर
उसके अरमानों से |
अब क्या सोचूँ
जब हम ने दूरी
अपनाई उससे
वह समय बीता
फिसल गया हाथों से |
अब कोई चारा न बचा
तुमको क्या दोष दूं
मैं भी समय रहते
याद दिला न सकी तुम को |
अब लगता है किसी से
कोई वादा न करो
जब तक पूरा करने की क्षमता न हो
यह वादा खिलाफी महंगी पड़ी उसे
बिना बात बढ़ चढ़ कर वादे करना
फिर उन्हें पूरा न करना
है यह कहाँ का न्याय बताओ |
हुआ यह गलत अफसोस है मुझे
मुझे पछतावा हो रहा
तुम्हें हो या न हो
आगे से कोई ऎसी बात न हो
जो दूसरे के लिए महत्व रखती हो
मेरा सीधा सम्बन्ध न हो जिससे
भूल से भी नहीं पडूँगी बीच में |
बड़ी नसीहत ली है मैंने
अपनी लापरवाही से आगे न बढूँगी
तुम भी पीछे हट जाना
इसी में भलाई है दौनों की |
आशा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
धन्यवाद पम्मी जी मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द "में स्थान देने के लिए |
हटाएंकोई वादा न करो
जवाब देंहटाएंजब तक पूरा करने की क्षमता न हो
बिल्कुल सही कहा आपने!
भावनाओं से ओतप्रोत बेहतरीन रचना
धन्यवाद मनीषा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसार्थक चिंतन खूबसूरत अभिव्यक्ति ! बहुत बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
सुन्दर
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