18 जनवरी, 2022

वादाखिलाफी


                                बड़े अरमां रहे तुम से

कि तुम पूरा करोगे

अधूरे अरमान उसके

 बीते कल में जो सजाए उसने |

पर तुम भूल गए  

न जाने कैसे हुए बेखबर

 उसके अरमानों से |

अब क्या सोचूँ

जब हम ने दूरी

 अपनाई उससे

वह समय बीता   

 फिसल गया हाथों से |

अब कोई चारा न बचा

तुमको क्या दोष दूं

मैं भी समय रहते

 याद दिला न सकी तुम को |

अब लगता है किसी से

कोई वादा न करो

जब तक पूरा करने की क्षमता न हो

यह वादा खिलाफी महंगी पड़ी उसे

बिना बात बढ़ चढ़ कर वादे करना

फिर उन्हें पूरा न करना

है यह कहाँ का न्याय बताओ |

हुआ यह गलत अफसोस है मुझे

मुझे पछतावा हो रहा

 तुम्हें हो या न हो

आगे से कोई ऎसी बात  न हो

जो दूसरे के लिए महत्व रखती हो

मेरा सीधा सम्बन्ध न हो जिससे

भूल से भी नहीं पडूँगी बीच में |

बड़ी नसीहत ली है मैंने

अपनी लापरवाही से आगे न बढूँगी  

तुम भी पीछे हट जाना

इसी में भलाई है दौनों की |

आशा 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद पम्मी जी मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द "में स्थान देने के लिए |

      हटाएं
  2. कोई वादा न करो

    जब तक पूरा करने की क्षमता न हो
    बिल्कुल सही कहा आपने!
    भावनाओं से ओतप्रोत बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक चिंतन खूबसूरत अभिव्यक्ति ! बहुत बढ़िया रचना !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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