हो सीमा पर तैनात
तुम हो कर्तव्य पथ पर अग्रसर
सारी श्रद्धा से जुड़े
कर्म से निष्काम भाव से |
हो तैनात सीमा पर
हो समर्पित पूर्ण रूप से
अपने कार्य के प्रति
है यही प्रिय मुझे |
मुझे गर्व होता जब तुम
जीत को प्राप्त करते हो
पूरे मनोयोग से
प्राथमिकता देकर उसे |
कोई शब्द नहीं मिलते
तुम्हारी दृढ इच्छा शक्ति के
दिल से वर्णन के लिए
जब भी कोई कार्य हो
तुम्हारी सफलता के लिए |
जो कार्य तुम्हें सौपा जाए
करते हो पूरी शिद्दत से
हो कर्तव्य प्रथम के अनुयाई
यही तत्परता मुझे भाई |
हमें गर्व है तुम्हारी सोच पर
तुमने सच्चा न्याय किया है
अपने चुने व्यवसाय से
कर्तव्य के प्रति निष्ठा रखने में |
दिल से नमन करते हैं
तुम्हें और तुम्हारी जननी को
तुमसे यही अपेक्षा रही
अपने कर्तव्य के प्रति |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
बहुत बढ़िया ! देश के वीर सेनानियों को ह्रदय से नमन ! वो सीमा पर तैनात हैं तो हम अपने घरों में सुरक्षित तीज त्यौहार मना रहे हैं ! जय हिन्द जय हिन्द की सेना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंThanks for the information of my post
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता। जय हिन्द।
जवाब देंहटाएंthanks for the comment
हटाएंहमें गर्व है तुम्हारी सोच पर
जवाब देंहटाएंतुमने सच्चा न्याय किया है
अपने चुने व्यवसाय से
कर्तव्य के प्रति निष्ठा रखने में |
दिल से नमन करते हैं
तुम्हें और तुम्हारी जननी को
तुमसे यही अपेक्षा रही
अपने कर्तव्य के प्रति |
बहुत ही खूबसूरत रचना!
आभार ..🙏
मैम आपने मुझे की जगह मुझ लिख रखा है यहाँ पर 👇
मुझ गर्व होता जब तुम..
thanks for the comment
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