किसी का कहा न मान
कर
जीवन को भार बना
लिया
की अपने मन की
अब कष्ट में हूँ |
किसी की सलाह यदि
अच्छी हो
जीवन सफल बना
देती
सही मार्ग दिखा कर
उसकी उलझने मिटा
देती |
पहले कसम खाई थी
किसी का कहा न
मानूंगी
इसका विपरीत प्रभाव
हुआ
मन में बड़ा विचलन हुआ |
हर बात मानूं या न
मानूं
कोई बाध्यता नहीं किसी
की
पर है यह समझ का फेर
जिस ओर चाहे ले जाए
मुझे |
सच्चा मित्र वही है जो
सीधी सच्ची राह
दिखाए
मार्ग से भटकने न दे
अपनी ओर से पूरी कोशिश करे |
अब मैंने समझ लिया
है
मेरी भलाई है किस में
अपना भला बुरा समझती
हूँ
यह अंध भक्ति नहीं है
|
आशा
अपने मन की ज़रूर सुनें लेकिन सच्चे हितैषियों की सलाह भी हितकारी होती है ! उस पर भी ध्यान ज़रूर देना चाहिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
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