07 जनवरी, 2022

शरारती बच्चों पर नियंत्रण


 

किसी बालक पर प्यार न आया

क्या कारण हुआ जान न पाया

बचपन में की शैतानी जी भर 

 मां को शर्म आती हमारी शरारतों पर  |

कहना नहीं मानने से गालों पर

दो चार चांटे पड़ ही जाते  

लाल लाल गाल हो जाते 

मटका भर आंसू बह जाते |

 कुछ काल बाद भूल भी जाते 

किस वर्जना की सजा मिलती 

 अनुशासन थोपे जाने की कमी न थी

 अब आदत हो गई वे कार्य न करने की|

जिस परिवेश में पले बड़े हुए

वैसा हमारा  स्वभाव हो गया

 बस थोड़ा सा फर्क हुआ अब

बच्चों को दण्ड नहीं देते  थे |

  पर  उन्हें साथ ले जाने से कतराते

ज्यादातर घर में ही छोड़ने लगे

टीवी और खिलोनों के सहारे

छोटे बड़े प्रलोभन दे कर |

वे और उद्दंड हो गए

 बिना किसी नियंत्रण के   

कोई तरकीब न सूझी

 उनसे कैसा हो व्यवहार |

मन में बेचैनी बढी 

मेरा मन उचटने लगा

प्यार मन में ही 

सिमट कर रह गया |

अब कोई प्यार नहीं उमढ़ता

 उनकी शरारतें देख 

कहना न मानना उनका 

मन को दुखी करता 

अब प्यार नहीं उमढता|

आशा 











  

आशा    

2 टिप्‍पणियां:

  1. शरारत बच्चे नहीं करेंगे तो कौन करेगा ? बुजुर्गों की तरह मुँह लटकाए थोड़े ही बैठे रहेंगे बच्चे ! बस उन पर थोड़ा नियंत्रण ज़रूरी है जिससे वे उद्दंड न हों ! डाँटना मारना कोई समाधान नहीं समस्या का !

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  2. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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