मुझे रहा बड़ा भरोसा अपने आप पर
अपने रूप रंग पर
जब भी बहार आती
रंग बिरंगे पुष्प गुच्छ खिलते |
जाने कितनी तरह की बेलें
लोगों के द्वारों पर लगी रहतीं
उनकी शोभा देख कर
मुझे अपार प्रसन्नता होती |
खुद को उनमें से एक देखकर
अपना महत्व देख पाई समझ पाई
पहचान अपनी भी कम नहीं
यही बात मुझे गौरान्वित करती |
मैं सब से आगे सबसे ऊपर
जब अपने को पाती
कारण से भी अनजान नहीं मैं
वे हैं मेरे रंग बिरंगे पुष्प गुच्छ |
लाल सफेद मन मोहक लगते
तेज धूप से भी वे प्रेम रखते
जल्दी न मुरझाते सदा प्रफुल्लित करते
यही मुझे विशेष बनाते अन्य बेलों से |
मुझे खुद पर कोई गर्व नहीं
हूँ बेल मधुमालती की
लंबा है जीवन प्रसन्नता से जीती हूँ
नयनों को सुख देती हूँ |
आशा
बहुत सुन्दर रचना ! मधुमालती के खूबसूरत फूल सदा सर्वदा खिले रहते हैं ! मेरी पसंदीदा बेल !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
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