08 फ़रवरी, 2022

मधु मालती



मुझे रहा  बड़ा  भरोसा अपने आप पर

अपने रूप रंग पर

जब भी  बहार  आती

 रंग बिरंगे  पुष्प गुच्छ खिलते |

जाने कितनी तरह की बेलें 

लोगों के द्वारों पर लगी  रहतीं

उनकी शोभा देख कर  

 मुझे अपार प्रसन्नता होती |

खुद को उनमें से एक देखकर

 अपना  महत्व  देख पाई समझ पाई

पहचान अपनी भी कम नहीं

यही बात मुझे गौरान्वित करती |

मैं सब से आगे सबसे ऊपर

जब अपने को पाती

कारण से भी अनजान  नहीं मैं   

वे हैं  मेरे रंग बिरंगे पुष्प गुच्छ |

लाल सफेद मन  मोहक लगते

तेज धूप से भी  वे प्रेम  रखते

जल्दी न मुरझाते सदा प्रफुल्लित करते

यही मुझे विशेष बनाते अन्य बेलों से |

मुझे खुद पर  कोई गर्व नहीं

हूँ बेल  मधुमालती की 

लंबा है जीवन प्रसन्नता से जीती हूँ  

नयनों को सुख देती हूँ |

                                    आशा 


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