08 फ़रवरी, 2022

कुछ हाइकु


                                           किया किसी से 

कभी भी  बैर नहीं 

दी है  ममता  


सारी दुनिया 

 सोती थी बेखबर   

 तुम  अचेत 


जल नेत्रों का 

 बहता सरिता सा  

मन  भिगोया  


मन बेकल 

हुआ बड़ा  उदास 

दुखद लगा 


शांति आत्मा की 

सरल नहीं पाना 

इस जग में  


गीत संगीत 

कानों में गूँजता  है 

वर्षों बरस 


तुम सा स्नेही 

ममता वाला वहां  

 कोई नहीं  है 


सरल नहीं 

है तुम जैसा होना 

की थी तपस्या 


स्वर सम्राज्ञी 

संगीत की  पारखी  

तुम ही हो 


तुम लता जी 

  हो मधुर  भाषिणी  

 विशेष यही 


आशा 


2 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया हाइकु ! तीसरा वाला चेक कर लें ! दूसरी पंक्ति में आठ वर्ण हैं !

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