किया किसी से
कभी भी बैर नहीं
दी है ममता
सारी दुनिया
सोती थी बेखबर
तुम अचेत
जल नेत्रों का
बहता सरिता सा
मन भिगोया
मन बेकल
हुआ बड़ा उदास
दुखद लगा
शांति आत्मा की
सरल नहीं पाना
इस जग में
गीत संगीत
कानों में गूँजता है
वर्षों बरस
तुम सा स्नेही
ममता वाला वहां
कोई नहीं है
सरल नहीं
है तुम जैसा होना
की थी तपस्या
स्वर सम्राज्ञी
संगीत की पारखी
तुम ही हो
तुम लता जी
हो मधुर भाषिणी
विशेष यही
आशा
बढ़िया हाइकु ! तीसरा वाला चेक कर लें ! दूसरी पंक्ति में आठ वर्ण हैं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |