20 फ़रवरी, 2022

किसी के छद्म प्यार में


 

किसी के छद्म प्यार में

मन उसका ऐसा उलझा   

कोई हल न सूझा अब कहाँ जाए

दिल की सुने या मस्तिस्क की |

अब पछता रही है

उसे वह समझ न पाई

अब जान गई था वह एक छलावा 

उस भूल पर कैसे पर्दा डाले |

मन बहुत दुखी हुआ है

पैर पीछे नहीं लौटते

अब कहीं की न रही

यह किससे कहे |

जब पैर डगमगाए थे 

किसी ने चेताया नहीं

ज़रा भी समझाया नहीं

डूबी जब पंक में किसी ने बचाया नहीं |

समय हाथ से फिसल गया 

अब हाथ न आएगा

नष्ट हुई वह किस हद तक

 कोई भी जान न पाएगा |

अपनी गलती का एहसास है उसे

यह वह किस मुंह से कहे

 अपने आप पर शर्मिन्दा है

यह भी नहीं कह पाती किसी से |

वह मन से बहुत  दुखी है

यह भूल नहीं पाती पछताती है   

यही बात बारम्बार मन को सालती रहती 

कोई न मिला जो उसे समझे समझाए |

आशा 

           

2 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन में मिले कटु अनुभव ही सबसे बड़े पथ प्रदर्शक होते हैं ! उन्हीं से सबक ले लेना चाहिए ! मन की उथल पुथल की बढ़िया अभिव्यक्ति !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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