16 मार्च, 2022

उम्मीद


 


मुझे उम्मीद न थी

हर बात पर पक्ष मेरा लोगे

मुझ पर विश्वास करोगे 

तुम मेरे मनमीत बनोगे |

मेरी कल्पना में थी

एक तस्वीर तुम्हारी

जब जीवन के पन्नों पर उतरी

बढाया आत्मबल मेरा |

मनमीत होने का मेरे

पूरा प्रतिफल दिया तुमने

मुझे कोई दिक्कत न हुई

तुम को समझने में |

यही क्या कम है

तुम में और मुझमें 

तालमेल है गहरा इतना

तुमको मैं समझती हूँ

समझे तुम मुझे पूरी तरह |

उम्मीद  यही थी  तुमसे

अपेक्षा मेरी पूर्ण करोगे

आशा को निराशा में न बदलोगे

उम्मीद पर खरे उतरोगे |

आशा 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.3.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4372 में दिया जाएगा| चर्चा मंच ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हासला अफजाई करेगी
    धनयवाद
    दिलबाग

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  2. आभार विर्क जी मेरी रचना की सूचना के लिए चर्चामंच पर |

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  3. वाह जी वाह ! मन के अनुकूल मनमीत मिल जाए तो फिर और क्या चाहिए जीवन में ! सुन्दर अभिव्यक्ति !

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