13 मार्च, 2022

सायली छंद (२)



                                             १- मेरा

तन मन 

महकाती तेरी खुशबू 

बहकाती नहीं 

मुझे |

२-छलकी 

तेरी गागर 

जल से भरी 

सर पर 

धरी |

२- नहीं

चंचल चपल 

आज की नारी 

मेरी सोच

 खरी |

३-हम

हैं हिन्दुस्तानी  

 भारत के  निवासी 

 गर्व  है 

हमें |

४-प्रभू 

तुम ने 

दिया बहुत कुछ 

नहीं सम्हाला 

मैंने |

५-कोई 

 कब तक 

 रक्षा  करेगा  तेरी 

हुई तरुणा 

सक्षम |

६-डाली 

जीवन की 

है हरी भरी 

फूलों से 

लदी |

७-कमल

होकर  अलग 

तैरता पंक पर 

रहा दूर 

उससे |

























9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 14 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. सुप्रभात
      आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  2. वाह । बहुत बढ़िया । सायली छंद में सुंदर अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  3. बहुत सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      जिज्ञासा जी आभार सहित धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

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  4. वाह!एक से बढ़कर एक काव्यात्मक प्रस्तुतियाँ

    जवाब देंहटाएं

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