तन मन
महकाती तेरी खुशबू
बहकाती नहीं
मुझे |
२-छलकी
तेरी गागर
जल से भरी
सर पर
धरी |
२- नहीं
चंचल चपल
आज की नारी
मेरी सोच
खरी |
३-हम
हैं हिन्दुस्तानी
भारत के निवासी
गर्व है
हमें |
४-प्रभू
तुम ने
दिया बहुत कुछ
नहीं सम्हाला
मैंने |
५-कोई
कब तक
रक्षा करेगा तेरी
हुई तरुणा
सक्षम |
६-डाली
जीवन की
है हरी भरी
फूलों से
लदी |
७-कमल
होकर अलग
तैरता पंक पर
रहा दूर
उससे |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 14 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुप्रभात
हटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |
वाह । बहुत बढ़िया । सायली छंद में सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंजिज्ञासा जी आभार सहित धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
वाह!एक से बढ़कर एक काव्यात्मक प्रस्तुतियाँ
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसभी छंद एक से बढ़ कर एक है।
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