14 मार्च, 2022

मेरा है अरमान यही


मधुर गीत गाने को संगीत बनाने को

समय की कोई पावंदी नहीं  होती 

पर मैं उलझी उलझी रहती हूँ

 कहीं भटक न जाऊं बेसुरी न हो जाऊं |

हंसी का पात्र बनने का

मुझे कोई शौक नहीं

संगीत हो सुर ताल से परिपूर्ण

शब्दों हो रंगीन यही रुचिकर मुझे |

गीत जब गाऊँ सभी जन सराहें मुझे

मेरे मुंह से स्वर पुष्प  झरें

मन की प्रसन्नता छलके

खुशी चहु ओर दिखे यही है प्रिय मुझे |

जाने कब पूर्णता हांसिल हो पाएगी

मेरे सपनों की दुनिया आबाद हो पाएगी

एक यही अरमान है अधूरा मेरा

कुछ और अधिक की चाह नहीं  मुझे |

करती हूँ अरदास अभ्यास प्रति दिन

प्रभु करलो स्वीकार मुझे दो चरणों में स्थान 

और शीश पर हाथ मेरे जिससे मैं भवसागर से

 तर पाऊँ पाकर तुम्हारा साथ |

आशा 


10 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-3-22) को "खिलता फागुन आया"(चर्चा अंक 4370)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  2. suprabhaat
    आभार कामिनी जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  3. बहुत सुन्दर रचना ! बहुत खूब !

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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