09 मार्च, 2022

वह और तुम


 

उसके ख्यालों में आना

आँख मिचौली खेलते रहना 

जज्बातों से उसके खेलना 

तुम्हें शोभा नहीं देता |

अपने पर रखो नियंत्रण 

किसी को दो न अवसर 

उंगलियां  उठाने का

कुछ अनर्गल बोलने का |

यह  अधिकार भी

तुम खो चुके हो

अपनी मनमानी करके

अकारण उससे उलझ के |

वह कोई गूंगी गुडिया नहीं

जो कभी न बोले 

अपने अधिकार जानती है

तुम्हें पहचानती है |

जितनी दूरी बना कर चलोगे

खुद पर नियंत्रण रखोगे

तभी उसे पाने में सफल रहोगे

यही एक  तरकीब उसे

तुम तक पहुंचाएगी |

जब वह लौट कर आएगी

एक नए रूप में होगी

जिसे दिल से अपनाना

पर हमें तब  भूल न जाना |

आशा

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8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4365 दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार विर्क जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  2. सुप्रभात
    आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  3. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद स्वेता जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  4. सुप्रभात
    धन्यवाद कविता जी टिप्पणी के लिए |

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  5. बहुत उम्दा । सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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