ख्यालों में तुम बसे हो
सभी का भाव समझना संभव नहीं
मुझे मालूम है
तुम हम से दूर नहीं |
मन ही मन सबसे
कुछ कहना चाहते हो
कभी कोई गाना गुनगुनाते हो
मुस्कुरा कर अपनी बात
हमें समझाते हो |
अचानक गुमसुम हो जाते हो
पहले भी बहुत बोलने के आदि न थे
कभी कभी ही अपनी प्रतिक्रया देते थे
अब सब होते बेचैन
जब तुम बात नहीं करते |
तुम्हारे मन में क्या चल रहा है
सब जानने को बेकरार नजर आते
मैं समझ जाती हूँ तुम्हारे इशारे से
अनजान बनी रहती हूँ उनसे |
तुम्हारे मन में उमड़ते
घुमड़ते भावों को
बहकने नहीं देती भटकने नहीं देती
प्यार तुम्हें करती हूँ अंतरमन से |
आशा
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
अनुराग भरे ह्रदय के सुन्दर उद्गार ! सुन्दर अभिव्यक्ति ! !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |