14 अप्रैल, 2022

ख्याल मेरा नहीं सभी का है



 

   


             ख्यालों में तुम बसे हो 

सभी का भाव समझना संभव नहीं 

मुझे मालूम है

 तुम हम से दूर नहीं |

मन ही मन सबसे

 कुछ कहना चाहते हो

 कभी कोई गाना गुनगुनाते हो

मुस्कुरा कर अपनी बात

 हमें समझाते हो |

अचानक  गुमसुम हो जाते  हो

पहले भी  बहुत बोलने के आदि न थे

कभी कभी ही अपनी प्रतिक्रया देते थे

अब सब होते बेचैन 

जब तुम बात नहीं करते  |

तुम्हारे मन में क्या चल रहा है  

सब जानने को बेकरार नजर आते

 मैं समझ जाती हूँ तुम्हारे इशारे से 

  अनजान बनी रहती हूँ उनसे |  

तुम्हारे मन में उमड़ते

घुमड़ते भावों को

बहकने नहीं देती भटकने नहीं देती

प्यार तुम्हें करती हूँ अंतरमन से |

आशा

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