भोर हुई बीती रात्रि
प्रातःनीलाम्बर में लाली छाई
आदित्य ने ली अंगड़ाई
वहां की रौनक बढ़ाई |
मानव समूह जागा नित्य की तरह
अपने कार्यों की ओर रुख किया
जल्दी से धर के कामों को किया
अवधान कार्य करने में लगाया |
टीका टिप्पणी का किसी को अवसर न दिया
मन की प्रसन्नता की सीमा न रही
जब सफलता ने कदम चूमें
और भूरि भूरि प्रशंसा मिली |
अब सोच लिया कार्य में संलग्न हुई
तीव्र गति से कार्य पूर्ण किया
गंतव्य तक पहुंचाया
जिस कार्य को अंजाम दिया |
कभी असफलता का मुंह न देखूं
हार मुझे मंजूर नहीं यही मुझे दरकार नहीं
बिना बात क्यों आंसू बहाऊँ
किसी के मन को दुःख पहुँचाऊँ |
आशा
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4400 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
Thanks for the information 0f my post
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 14 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुप्रभात
हटाएंआभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए
हर दिन नयी आशा का संदेश लेकर आता रहे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकल्प के साथ भोर का शुभारम्भ हो तो दिन भी अच्छा बीतेगा और सफलता भी अवश्य मिलेगी ! सुन्दर सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गगन जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए