13 अप्रैल, 2022

भोर हुई


 

भोर हुई बीती रात्रि  

प्रातःनीलाम्बर में लाली छाई

आदित्य ने ली अंगड़ाई   

वहां की  रौनक बढ़ाई |

 मानव समूह जागा नित्य की तरह  

  अपने कार्यों की ओर रुख किया

जल्दी से धर के कामों को किया

अवधान  कार्य  करने में  लगाया |

टीका टिप्पणी का किसी को अवसर न दिया  

 मन की प्रसन्नता की सीमा न रही

जब सफलता ने कदम चूमें

और भूरि भूरि प्रशंसा मिली |  

 अब सोच लिया कार्य में संलग्न हुई 

 तीव्र गति से कार्य पूर्ण किया 

 गंतव्य तक पहुंचाया 

 जिस कार्य को अंजाम दिया |

कभी असफलता का मुंह न देखूं

हार मुझे मंजूर नहीं यही मुझे दरकार नहीं 

बिना बात क्यों आंसू बहाऊँ  

किसी के मन को दुःख पहुँचाऊँ |

आशा 


10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4400 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 14 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. सुप्रभात
      आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए

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  3. हर दिन नयी आशा का संदेश लेकर आता रहे

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  4. सुन्दर संकल्प के साथ भोर का शुभारम्भ हो तो दिन भी अच्छा बीतेगा और सफलता भी अवश्य मिलेगी ! सुन्दर सृजन !

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  5. धन्यवाद गगन जी टिप्पणी के लिए |

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  6. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए

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