12 अप्रैल, 2022

दाता तुम मेरे हो




मैंने हाथ फैलाया तुम्हें पाने को
मुझ पर कृपा करना प्यार बरसाना
दाता तुम मेरे हो मेरे ही रहना
दाता मुझ पर महर करना भूल न जाना |
मेंने की प्रार्थना जब से तुमसे लगन लगी
क्षणभर को भी तुम्हें बिसरा न पाया
तुम में ही खोया रहा
दिन रात तुम्हें याद किया |
राम नाम जपता रहा
मन में संतुष्ट तब भी न हुई
मेरे तुम्हारे बीच
किसी का दखल सह न पाया |
आशा

3 टिप्‍पणियां:

  1. भक्त और भगवान् के बीच सम्बन्ध ही इतना प्रगाढ़ होता है की किसी और का दखल उसे स्वीकार नहीं होता ! सुन्दर प्रस्तुति !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  3. सुप्रभात
    आभार शास्त्री की मेरी रचना की सूचना के लिए इस अंक में स्थान देने के लिए |

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