तुम्हारे चहरे पर सिलवटें क्यों है
क्या किसी ने
दिल दुखाया है तुम्हारा |
तुमसे उसे जो चाह थी
न मिल पाई
उसी की नाराजगी
दिखी उसके व्यवहार में
और सिलवटें तुम्हारे आनन पर |
तुमने ना कुछ बोला
ना स्पष्ट किया अपने भावों से
सिमेट लिया खुद को
अपने अंतस में |
किस बात से हुए क्रुद्ध
यदि संकेत दिए होते
एक भी सिलवट दिखाई नहीं देती
तुम्हारे मुख मंडल पर |
कोई शिकन न छू पाती तुम्हें
किसी के आहत करने की
मंद मुस्कान बनी रहती
बहुत समय तक तुम्हारे चहरे पर |
क्या कारण है
तुमने चुप्पी साधी है
क्या अनवरत चुप रहने की
कसम खाई है |
आशा
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति ! भावों एवं शब्दों का अनोखा संगम ! सार्थक अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
वाह.बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |