30 अप्रैल, 2022

संयम मन का


 


किसी की चाहत थी उसकी 

वह जब ना मिल पाई

मन ने संयम खोया 

बेचैन हुआ उसे पाने को|

 हुआ अधीर 

 और लालाईत

मुंह में पानी आया कई बार  

उस तक पहुँचने को 

ख्याल ने मन को झझकोरा |

ऐसा क्या था  विशेष उसमें

जिससे दूर न होना चाहा

संयम और धैर्य  के 

 मार्ग भी छोड़ दिए 

मन के संयम को भी दर किनारे किया |

 संयम ही एक ऐसा मार्ग बचा था 

उस तक पहुँचने का

जिसने संयम छोड़ा 

मार्ग में भटकता गया  |

उससे दूरी बढ़ती गई

मन को संताप देती गई

वह भूला संयम रखने का वादा

यही भूल कर बैठा बेचारा |

जीवन से  मात खाई 

हारे थके बेचैन गुबार से भरे मन ने 

 कही का नहीं रखा उसे  |  

आशा


3 टिप्‍पणियां:

  1. संयम का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए ! जिसने संयम खोया उसने मान सम्मान प्रतिष्ठा सब खो दी ! सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना !

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  2. धन्यवाद कुमार रमण टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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