28 अप्रैल, 2022

मासूम



 


भोला भाला मासूम सा चेहरा

न जाने कितने राज छिपे इसमें

पर नैन चंचल हिरनी से

करते उजागर मन के हर राज को |

जब मुस्कूराहट बाहर आना चाहती

कहीं कोई वर्जना झेलती

मन में दुबक कर रह जाती

 झलक उसकी दिखती नैनों में |

 प्यारे से दो नैना

 झुक जाते शर्मा कर 

रूमाल से नैना छिपाता 

वह भोला मासूम बालक | 

 पलकें झपक झपक जातीं मासूम की

 चाहता नहीं मन की गिरह खोलने को

 कुछ बोलने सुनने  को |

यही मासूमियत आकृष्ट करती

मुझे उस तक पहुँचाने के लिए

मिठास घुली होती उसकी बोली में

उसके अधर चूमना चाहती |

आशा  


8 टिप्‍पणियां:

  1. बाल सुलभ क्रिया मन को बहुत लुभाता है
    बहुत सुन्दर

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  2. वाह ! मासूमियत का सुन्दर शब्द चित्र !

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  3. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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