09 अप्रैल, 2022

कर्मफल

 


मानव योनी की प्राप्ति के लिए

घूम चुका चौरासी लाख  योनियों में

कहाँ नहीं भटका कितने रूप धरे

तब जाकर मानव तन मिला |

है सबसे अलग मिलना श्रेष्ठ योनी का  

यदि मन से स्वीकार किया हो  

जितने कर्म किये पहले

 फल अब भोग रहा हूँ |

ईश्वर ने सभी कर्मों  का

लेखा जोखा रखा है मेरे खाते में

 जिनकी पूर्ती के लिए

जाने कितने जन्म लगेंगे |

जाने कब भाग्य के कुकृत्यों पर ताला लगेगा

इस भवसागर के जालक से छुटकारा मिलेगा

                             अब हूँ सतर्क जाने अनजाने में

कोई गलत कार्य नहीं करता सब से बच कर रहता हूँ |

यदि कुछ गलत हो जाए

 प्रभु से क्षमा मांग लेता हूँ

जिसने मांगी क्षमा 

मानो जग जीत लिया उसने|

भगवान के दिशा निर्देश पर चल कर

अपना मार्ग प्रशस्त किया है

गुरू से मिली प्रेरणा जब से

पीछे पलट कर न देखा है |

उन कार्यों को कभी नहीं  दोहराया

सांसारिकता को त्यागा

माया मोह से बच कर चला

 मुक्ति मार्ग पर चल दिया |

7 टिप्‍पणियां:

  1. दार्शनिकता से युक्त गहन रचना !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  3. सुप्रभात
    कामिनी जी आभार आपका मेरी रचना की सूचना के लिए आज के अंक में |

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  4. प्रेरक महोदया, हमारे सनातन आध्यात्म नीव का दर्शन आपकी कलम में, नमन वंदन है आपके ज्ञान को ,

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  5. सुप्रभात
    धन्यवाद बलबीर जी टिप्पणी के लिए |

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