तुम सपूत भारत के रखवाले अपने घरवार से बिछड़े
यह साहसिक कदम उठाया
परवाह न की कभी दीन दुनिया की
देश हित में रमें अपनी जान जोखिम में डाली |
कितनी भी विपरीत परिस्थितियां आईं
हिम्मत कभी न हारी
कर्तव्य से पीछे न हटे
घरवार प्रभु के भरोसे किया |
कर्तव्य पर हुए न्योछावर
देश को है गर्व है
उन वीर सपूतों पर
जिनने दी कुर्वानी देश के लिए
जात पात का बंधन न माना
किया न्योछावर देश पर खुद को |
धर्म ने कभी न बांटा एक बात याद रही
प्रथम कर्तव्य से बंधे हैं बाक़ी सब गौण
एक साथ मिल जुलकर रहे सीमा पर
हम हैं हिन्दुस्तान के रखवाले |
आशा
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (17-5-22) को "देश के रखवाले" (चर्चा अंक 4433) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
-आभार कामिनी जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए
हटाएंबहुत सुंदर,वाह वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ! देश के वीर सपूतों को शत शत नमन !
जवाब देंहटाएंThanks for your comment
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