मुराद मेरी कब तक पूरी होगी
कुछ कहा नहीं जाकता
बेचैन हो रही हूँ
कब तक इन्तजार करती रहूँगी|
बहुत है कठिन जानना
यह किस समस्या का कारण बना
अब तक सोच भी नहीं पाई कि
इतना तेज धमाका हो गया |
अब तक पैरों में थरथराहट है
मुझे गुमान अपने पर है
मेरे पैर नहीं डगमगाए
जिस मार्ग पर चली |
जो मार्ग मैंने चुना था
किसी को क्या समस्या आई
उस मार्ग पर चल कर
कभी परीक्षण कर लिया होता
यह प्रपंच न होता |
मेरा समय बिगड़ा है इन्ताजार में
अब हुई सतर्क दुनिया के छल छिद्र से
खुद को बचा कर रखा है
दुनिया के सारे माया जाल से |
सहज जीवन शैली अपनाई
मैंने यह इन्तजार क्यों अपनाया
अब सोचने को बाध्य हूँ
क्या करूं कितना धैर्य रखूँ |
आशा
अति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंहर समस्या का समाधान होता है ! बस धैर्य के साथ उसे ढूँढने की ज़रुरत होती है !
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