04 मई, 2022

मुराद मेरी

 


मुराद मेरी कब तक पूरी होगी

कुछ कहा नहीं जाकता

बेचैन हो रही हूँ

कब तक इन्तजार करती रहूँगी|

बहुत है कठिन जानना  

यह किस समस्या का कारण बना

अब तक सोच भी नहीं पाई कि

इतना तेज धमाका हो गया |

अब तक पैरों में थरथराहट है

मुझे गुमान अपने पर है

मेरे पैर नहीं डगमगाए

जिस मार्ग पर चली |

जो  मार्ग मैंने चुना था

किसी को क्या समस्या आई

उस मार्ग पर चल कर 

कभी परीक्षण कर लिया होता  

यह प्रपंच न होता |

मेरा समय बिगड़ा है इन्ताजार में

अब हुई सतर्क दुनिया के छल छिद्र से

खुद को बचा कर रखा है

दुनिया के सारे माया जाल से  |

सहज जीवन शैली अपनाई

मैंने यह इन्तजार क्यों अपनाया

अब सोचने को बाध्य हूँ

क्या करूं कितना धैर्य रखूँ  |

आशा

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