दिखता बड़ा कच्चा सा 
पर होता इतना प्रगाढ़
कि सात जन्मों तक नहीं टूटता |
कितनी भी बाधाएं आएं 
उस बंधन पर 
कोई प्रभाव नहीं होता 
साथ बना रहता जन्म जन्मान्तर तक |
यही विशेषता है उस बंधन की 
किसी की नजर नहीं लगती उसको 
मन में कभी उलझन कोई चिंता
कुंठाएं नहीं पनपतीं |
प्यार की क्या बात करें
दिन दूना रात चौगुना 
परवान चढ़ता मंजिल पर 
परिवार फलता फूलता खुशहाल रहता|
यही सुख मिलता रहे सब को 
है यही ग्रंथि बंधन की विशेषता
कोई अलग न हो एक दूसरे से
 जन्म जन्मान्तर तक  | 
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बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंवाह ! बहुत सुन्दर सृजन !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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