रोज रात स्वप्न
आते
आते
पर कुछ ही याद रहते
वे कई प्रभाव छोड़ते
मन मस्तिष्क पर |
क्या होने को है क्या घटित होगा ?
उसका निशान छोड़ते
उनकी दुनिया है निराली
रोज बदलती |
मन को मुदित करती कभी भयभीत
आधी रात में जागने को बाध्य करती |
बहुत समय तक नींद न आती
निदिया बैरन हो जाती
आँखों ही आखों में सारी रात गुजरती
पलकें न झपकतीं |
मन सोचता ही रह जाता
आखिर यह सब है क्या ?
विचार मन में आया कैसे |
कुछ अनहोनी तो न होगी
या कोई समाचार मिलेगा
या ईश्वत की चेतावनी
उसके माध्यम से |
सारा सारा दिन
सोच विचार में निकलता
मन बेचैन बना रहता
कई दिनों तक |
जब रात आती
कोई स्वप्न फिर तैयार रहता
रात्री में आने के लिए
मन को सजग करने के लिए |
आशा
बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आपका
हटाएंस्वप्नों का संसार निराला होता है ! ये हमारे अवचेतन को ही दिखाते हैं ! इनमें किसी अर्थ को ढूँढना नादानी है !
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