एक दिन दो बच्चे अपने दरवाजे पर बैठे बहुत गंभीरता से आपस में बातें कर रहे थे | अंशु ने कहा आज मेरा जन्म दिन है |तुम जरूर आना |हर्ष ने कहा हाँ मैं जरूर आऊँगा पर एक समस्या है मेरे आने में| मेरे पास तुम्हें देने के लिए उपहार तो है नहीं |हाँ यह तो मैंने सोचा ही नहीं था |ठहरो मैं कुछ जुगाड़ करता हूँ |वः दौड़ा दौड़ा अपने कक्ष में गया अपने बैग से एक छोटी सी डायरी निकाली और हर्ष के हाथ में थमा दी और कहा ले यह ही दे देना अखवार में लपेट कर ||अरे नहीं इसमें तो कुछ लिखा है |अंशु ने लिखे हुए पन्ने फाड़कर डायरी फिर से हर्ष को देते हुए कहा ले अब तो खाली है यही देने के लिए ठीक रहेगी |मैंने बाहर झाँक कर देखा और अपनी हंसी रोक नहीं पाई |खैर बाहर जाकर उनकी समस्या का निदान किया और कहा कोई आवश्यकता नहीं होती उपहार देने की | औपचारिकता निभाने की |आने का ही महत्व होता है |एक खुशी की चमक हर्श के चहरे पर आई और दौड़ कर अपने घर की ओर चल दिया शाम को आने का वादा करके |
आशा
वाह ! बहुत ही सुन्दर लघुकथा ! बच्चों की मासूम बातें मन को हर्षित कर गयीं !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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