24 सितंबर, 2022

रहूँ उदास


                                                      रहूँ  उदास और सोच में  डुबी रहूँ  

क्या रखा है इस  जिन्दगी में 

कोई अरमा अब शेष नहीं हैं 

जिन्दगी जी ली है पर्याप्त |

कोई कार्य अधूरा नहीं छोड़ा 

यह है ख्याल मेरा या सत्यता 

अब जीने से क्या लाभ 

जितना  समय शेष है

 प्रभु चरणों में अर्पित करूं  |

और आगे की सोचूँ 

क्या मैं ऐसा कर पाऊंगी 

इतनी शक्ति मुझे दो परमात्मा 

अपने ध्येय में सफल रहूँ |

कोई बाधा बीच में न आए 

अपने सोच में सफल रहूँ 

भव सागर को पार करूं |

मेरी  नैया पार लगादो 

 मझदार में न  रह पाऊँ  

पार लगा दो मेरा जीवन 

इतना उपकार करो मुझ पर |

जीवन क्षणिक रह गया है 

उसका भी सदुपयोग  करूं पूरा 

अब जीवन भार सा हुआ है 

क्या करूं  इसका |

आशा सक्सेना 


































 

2 टिप्‍पणियां:

  1. नकारात्मकता से दूर रहें ! तब ही जीवन का सदुपयोग कर पाएंगी ! मन की हलचल की सटीक अभिव्यक्ति !

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  2. धन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |

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