23 सितंबर, 2022

व्यबहार एक जैसा


                                                           न किया किसी से बैर    

ना ही प्रीत अधिक ही पाली 

बस यही किया मैंने 

समान व्यबहार रखा सब से |

कभी भेदभाव न  रखा 

ना ही   अपने तुपने का 

 सतही सम्बन्ध  रखा 

सब को अपना समझा |

जिन्दगी में दोगला

 कहलाने का अवसर  

 किसी को न दिया 

सब को एक जैसा समझा |

किया  व्यबहार

 सब से  एक सा 

किसी को कभी 

धोखा न दिया 

है यही विशेषता 

मेरे मन के  

संयत व्यबहार की |

 सब को अपनाता 

ज़रा भी अंतर नहीं करता  

बस प्यार ही प्यार 

बरस रहा आसमान से |

 मन को रखा है

संयत अपने 

 शुद्ध  एक दम 

नहीं प्रभावित किसी से |


आशा सक्सेना 


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