30 सितंबर, 2022

किसी से क्या कहिये

 

 

 

 



जीवन हुआ है भार

किसी से क्या कहिये

मन हुआ बेहाल

किसी से क्या कहिये  |

 जन्मदिन था आज तुम्हारा 

पर तुमने याद न किया

ना ही फोन किया

भूलीं सभी  संस्कार |

 मन को लगी ठेस मैं सह न पाई

मेरे दुःख को तुमने न समझा

केवल अपने तक सीमित रहीं 

है कैसा अन्याय तुम्हारा तुम भूलीं | 

यह है कैसा व्यबहार वाह

किसी से  क्या कहिये

बात मन की मन में रही

राई का पहाड़ बनाया तुमने |

हमने भी प्यार किया था तुमको

धन दौलत नहीं दी थी पर मन में

जगह तुम्हारी थी सबसे ऊपर

यह  तुम भूलीं पर मैं नहीं भूल पाई |

तुम्हें भी याद तो आई होगी हमारी

थोड़ी औपचारिकता भी न निभा पाई तुम 

हो आज की पैदाइश हम यह तो भूले 

केवल हमारी मुन्ना ही याद रही मुझको |

मन को ठेस लगी मेरे सोच न पाई 

यह माया मोह किस लिए

किस के लिए आज की दुनिया मैं

सच कहा है सोचा  समझा है

 देवी के पूजन अर्चन में |



आशा सक्सेना

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