कविता के कितने रूप
तुम्हें कैसे गिनवाऊँ
कुछ होतीं अकविता
पढने में रुचिकर लगतीं |
कुछ होतीं छंद रूप में
पढने में बहुत रोचक लगतीं
पर लिखने में बहुत क्लिष्ट
कभी मात्राओं में त्रुति हो जाती
कभी लय भंग हो जाती
पर सही लिखी न जाती
दोहा ,सौराठ ,छंद चौपाई
लेखन है कठिन बड़ा |
जब सही नहीं लिख पाती
मन क्षोभ में डूबा रहता
अपने से वादा करती
छंदबद्ध रचना अब नहीं लिखूंगी |
अधूरा ज्ञान होता है घातक
पर जब प्रयत्न ही नहीं करूंगी
कैसे सीख पाऊंगी उन्हें लिखना
भावों को छंदबद्ध करना |
मैंने सोचा कई बार प्रयत्न भी किया
पर असफल रही
फिर भी कोशिस करती रही
हार नहीं मानी |
आशा सक्सेना
इसी वजह से हमें भी रबड़ छंद बहुत भाता है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कविता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंवाह, कविता पर ही कविता... अद्भुत!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गजेन्द्र जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंकोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ! मेहनत का फल मीठा होता है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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