12 सितंबर, 2022

क्षणिकाएं

 १-ओ आज के प्यारे मौसम 

तुम्हारे इन्तजार नें आँखे तरसी 

 किस कारण नहीं बताया तुमने 

बिना बात इन्तजार में उलझाया तुमने |


२-कभी तेज बारिश कभी सूखा मौसम 

इतना अटपटा व्यवहार किस लिए 

किसने सिखाया तुम्हें ऐसा किसलिए 

अपने अभाव में आम जन को तरसाया तुमने |

३-

जल के अभाव् में कितना कष्ट हुआ होगा  

यह तुम कैसे जानोंगे तुम ठहरे पाषाण ह्रदय 

जो दुर्गति हुई सब की उसे कैसे पहचानोंगे 

तुम्हें नहीं लगाव किसी से हमने तुम्हें पहचान लिया

 है अब क्या फ़ायदा एक ही  बात दोहराने का  

हमने सब भाग्य पर छोड़ दिया है |


आशा सक्सेना 

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