दिग दिगंत में अपने
आसपास कुछ ऐसा है जो खींच रहा
उसको अपने
पास उस में खो जाने के लिए जीवन जीवंत बनाने के लिए | जागती आँखों से जो देखा उसने स्वप्न में न देखा था कभी वह उड़ चली व्योम में ऊंचाई तक पर न पहुँच पाई आदित्य तक | ताप सहन न कर पाई जो था आवश्यक गंतव्य तक पहुँचाने के लिए
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कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ! मन में विश्वास होना चाहिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंदे
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