आज तक कोई बंधन तो नहीं तोड़ा
किसी दिल ने महसूस किया हो या नहीं
पर मैंने बहुत गहराई से
इस बात को दिल पर लिया है |
किसी ने न स्वीकारा
जितना मन पर भार हुआ
मेरी साधना में कमीं रही या
जीवन जीना न आया मुझे |
हर पल न अस्वीकार किया मुझे
कभी किसी की इच्छा पूर्ण न हो पाई
मन ने यह स्वीकार न किया
अपनी बात पर ही अड़ा रहा |
जब भी खुद में परिवर्तन चाहा
कहीं से अहम् ने सर उठाया
अपने को सर्व श्रेष्ठ माना
किसी के सामने नत मस्तक न हुआ |
फिर भी कोशिश की निरंतर
सफलता की देखी हलकी सी झलक
मन फिर अभिमान से भरा
यहीं मैंने खाई मात |
तब ईश्वर के चरण पकड़े
अपनी भूलों पर पछताई
जानती हूँ कितना सुधार है आवश्यक
पर किससे सीखूं सलाह मानूं |
अभी तक कोशिश पूरी न हो पाई
पर मैंने भी हार न मानी
प्रयत्न करती रही अनवरत
हार कर भी साहस न छोड़ा |
मेरी इच्छा शक्ति भी हुई प्रवल
यही बात मेरे मन को भाई
कभी मैं भी सर उठाकर चल
पाऊँगी
इसी बात का संबल मुझ को मिला है |
जब भी मुझमें आत्म शक्ति
जाग्रत होगी
समर्पण की मुझ में कमीं न होगी
यही वे पल होंगे जिनमें मैं
खुद का जीवन जी पाऊंगी |
आशा सक्सेना
सकारात्मकता का भाव लिए सार्थक अभिव्यक्ति ! बहुत सुन्दर सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
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