23 नवंबर, 2022

बंधन है किसका


 


                                                 आज तक कोई बंधन तो नहीं तोड़ा

किसी दिल ने महसूस किया हो  या  नहीं

पर मैंने बहुत गहराई से

इस बात को दिल पर लिया है |

किसी ने न स्वीकारा

जितना मन पर भार हुआ

मेरी साधना में कमीं रही या

जीवन जीना न आया  मुझे  |

हर पल न अस्वीकार किया मुझे 

कभी किसी की इच्छा पूर्ण न हो पाई

मन ने यह स्वीकार न किया

अपनी बात पर ही अड़ा रहा |

जब भी खुद में परिवर्तन  चाहा

कहीं से  अहम् ने सर उठाया

अपने को सर्व श्रेष्ठ माना

किसी के सामने नत मस्तक न  हुआ  |

फिर भी कोशिश की निरंतर

 सफलता की देखी हलकी सी झलक

मन फिर अभिमान से भरा

यहीं मैंने  खाई मात  |

 तब ईश्वर के चरण पकड़े

अपनी भूलों पर पछताई

जानती  हूँ  कितना सुधार है आवश्यक 

पर किससे सीखूं सलाह मानूं |

अभी तक कोशिश पूरी न हो पाई

पर मैंने भी हार न मानी

प्रयत्न करती रही अनवरत

हार कर भी साहस न छोड़ा |

 मेरी इच्छा शक्ति भी हुई प्रवल

यही बात मेरे मन को भाई 

कभी मैं भी सर उठाकर चल पाऊँगी

इसी  बात का संबल  मुझ  को मिला है |

जब भी मुझमें आत्म शक्ति जाग्रत होगी

समर्पण की मुझ में कमीं न होगी

यही वे पल होंगे जिनमें मैं

खुद का जीवन जी पाऊंगी |

आशा सक्सेना

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