25 नवंबर, 2022

मुझे बहुत कुछ कहना है

 


 मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है

  किसी  से जो  कह न पाई

 पर तुम ने भी सुनी अनसुनी कर दी

 मन मेरा  आहत हुआ फिर भी बहुत धैर्य रखा  |

जब भी कुछ कहना चाहा  गलत नहीं कहा  है

मैंने तो सही राह चुनी थी वह  भी स्वविवेक से

किसी का प्रभाव नहीं था  मुझ पर

 तुमको कैसे समझाऊँ जान  नहीं पाई अब तक |

तुमने मुझको कितना समझा है

अपनाया है दिल से या नहीं

कुछ तो कहो मुझसे या यूँ ही मुझे बहकाओगे

 मन की कहूं  या नहीं मैं कैसे जानूं |

 सही मार्ग दिखलाओ मैंने तुम्हें देवता माना

अपने मन को खोल कर रख दिया तुम्हारे समक्ष

तुमने फिर भी ध्यान न दिया मेरी बात पर

यही वर्ताव मुझे दुविधा में रखे है कैसे पार करूं उसको |

 मन दुविधा में फंसा है  इस से निकलना चाहती हूँ

तुमसे अपने मन की  बातें करना चाहती हूँ

फिर तुम जो सलाह दोगे मुझे स्वीकार होगा

  मन कुछ तो हल्का होगा |

 

आशा सक्सेना 

 

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