किसीने क्या कहा
किस किस को दे सफाई
यही बात उसके मन को रास न आई
आधी जिन्दगी बीती कोई उसे समझ न पाया |
ना उसके प्यार को समझा
ना ही तुम्हारे इकरार को जाना
कटू भाषण ही पहचाना |
मानसिक तनाव इतना बढ़ा कि
जीना हराम हो गया उसका
यह कैसी तुम्हारी भाषा
उसके तुमसे संबंधों की परिभाषा |
जब तक वह मौन रहेगी
गुत्थि सुलझ न पाएगी
दोनो एक दूसरे पर दोषारोपण करते रहोगे
और अपने आप पर गर्व |
जब तक दोनो आपस में बात न करेंगे
समझेंगे समझाएंगे नहीं
खुश हाल जीवन जी न पाएंगे दोनो
सब के मन को ठेस पहुंचाएंगे
|
यह बात समझ से बाहर हुई
बुद्धि कैसे न आई तुम दौनों
में
जब प्यार किया था सोचा नहीं
था
अब घर को युद्ध का बनाया या अखाड़ा |
किसी की
बात न सुनी ना ही समझी
कारण रहा अनजान कोई न जान
सका उसको
गुत्थि उलझी ही रह गई सुलझ
न पाई
सब के प्रयत्न विफल रहे |
आशा सक्सेना
वाह... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंThank you sir
हटाएंउम्दा प्रस्तुति आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंअहमवादी लोगों के साथ प्राय: यह समस्या बनी रहती है ! सार्थक सृजन !
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