अपने को जानो पहचानो
किसी की सलाह ना भी मानो
पर सुन कर तो देखो समझो
कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं होगा |
नेक सलाह ही देगा तुमको
कभी भी न बदलेगा पाला
न ही गलत सलाह देगा तुमको |
तुम हो भारत के कर्तव्य निष्ट सपूत
वह तुम्हारी जन्म जन्मों की साथी
कभी अपने कर्तव्यों से न भागी
उसे यही संस्कारों की थाती मिली है
जिम्मेदारी समझी अपनी
पर तुम ही कदम न बढा पाए
जो सात जन्मों का
साथ निभाने का वादा किया था
बहुत पीछे रह गए उससे
उसका साथ न दे पाए |
फिर देते हो दुहाई वादाखिलाफी की
यह तो सोचो किसने वादा तोड़ा
और सही राह न दिखाई तुमको |
पहले उसका साथ न दे पाए
अब उसे ही इल्जाम दे रहे हो
झूठा सबित कर रहे हो |
हो तुम कच्ची बुद्धि के इंसान
कभी अपने जीवन की किताब के
पन्ने पलट कर देखना
सही क्या है गलत क्या है
मैंने कुछ बढा चढ़ा कर नहीं कहा है
जो भी सलाह दी है
तुम्हारे हित के लिए ही दी है |
आशा सक्सेना
व्यावहारिक सलाह ! सुन्दर रचना !
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