27 नवंबर, 2022

आवाज सुनो अंतर आत्मा की

 



                                                         अपने को जानो पहचानो 

किसी की सलाह ना भी  मानो 

पर सुन कर तो देखो समझो 

कोई तुम्हारा दुश्मन  नहीं होगा |

नेक सलाह ही देगा तुमको 

है तुम्हारा अंतरंग मित्र 

कभी भी न बदलेगा पाला 

न ही गलत सलाह देगा  तुमको |

तुम हो भारत के कर्तव्य निष्ट सपूत 

वह  तुम्हारी जन्म जन्मों की साथी 

कभी अपने कर्तव्यों से न भागी

 उसे  यही संस्कारों की थाती मिली है 

जिम्मेदारी समझी अपनी 

पर तुम ही कदम न बढा पाए 

जो सात जन्मों का  

साथ निभाने का वादा किया था 

बहुत पीछे रह गए उससे

 उसका साथ न दे पाए |

फिर देते हो दुहाई वादाखिलाफी की  

यह तो सोचो किसने वादा तोड़ा 

और  सही राह न दिखाई तुमको |

पहले उसका साथ न दे पाए 

अब उसे ही  इल्जाम दे रहे हो 

झूठा सबित कर रहे हो |

हो तुम कच्ची बुद्धि के  इंसान 

कभी अपने जीवन की  किताब के 

पन्ने पलट कर देखना 

सही क्या है गलत क्या है 

 मैंने कुछ बढा चढ़ा कर नहीं कहा है 

जो भी सलाह दी है  

 तुम्हारे हित के लिए ही दी है |

आशा सक्सेना 




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