28 नवंबर, 2022

कब तक निहारते रहोगे

 

तुम कब तक निहारते रहोगे उसे 

जब श्याम ने समझाया तुम्हें

इतनी समझ न आई तुम्हें

क्या लाभ तुम्हें समझाने का |

मीठी मधुर वाणी तुम्हारी

कटु से कटुतर होती गई

उसके कारण मन विद्रोही हुआ

 किसी की कदर न जानी उसने |

यही कमी प्रारम्भ से थी उसमें

तुमने कभी टोका नहीं उसको

उसने सर उठाया अब तो

क्या फायदा ऎसा हटधर्मी होने का |

ना तो  माँ ने कुछ  सिखाया उसे

ना ही कुछ औरों से सीखना चाहा उसने

उसके व्यबहार से लोगों ने बुरा भला कहा उसे  

मन को और संतप्त किया |

इसमें किस का अहित हुआ

पर तुम तो समझदार थे

तब भी  न समझा पाए उसको

कह दिया वह तो मनमानी करती है |

सोचो हो तुम किसके गुलाम 

उसके या अपनी भावनाओं की तल्खी के

कितना भी गलत हुआ तुमने किया या उसने 

उसको समझाने से क्या फायदा हो जो कुबुद्धि |

 हो बुद्धि का अभाव जिसमें वह किस काम का

हो हुस्न के दीवाने या अन्य आकर्षण तुम्हें रिझाता 

खुद सोचना उसको भी समझाना

क्या सही क्या गलत उसी से सलाह लेना |

आशा सक्सेना

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