दो सहेलीयां
बेला और चमेली नाम की दो
बालिकाएं थीं जो आपस में बहुत प्रेम रखतीं
थी एक दिन बेला के पापा उसके लिए एक सुन्दर सा फ्रोक लाए |वह पहिन कर अपनी सहेली को दिखाने आई |चमेली के
पापा की आर्थिक स्थिती तब अच्छी नहीं थी |उस
ड्रेस को देख चमेली की आँखों में
आंसू आ गए |
बेला ने कहा लो तुम यह पहन लो तुम पर खूब सजेगी |चमेली ने उसे ले लिया पर जब पहना उसको शर्म आई और बोली मेरे पापा कल ऐसी ही फ्रोक मुझे ला कर देंगे |किसी की कोई वस्तु देख कर उससे नहीं लेनी चाहिए |दुनिया मैं कितनी ही वस्तुएँ हैं |हर व्यक्ति तो सब को खरीद नहीं सकता |पिता ने शांति से अपनी बेटी को समझाया |वह समझी और अपने पापा से किसी की कोई चीज न लेने का वायदा किया | अब उसका मन किसी चीज को देख कर नहीं ललचाता |उसे जो उसके पास है उसमें ही संतुष्ट है
आशा सक्सेना
सुन्दर सार्थक सन्देश देती एक खूबसूरत लघुकथा !
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