09 नवंबर, 2022

कलाकार के मन का सोच

 


कलाकार के मन का सोच

मेरा मन खोखला हुआ

अब सोचने का कोई लाभ नहीं

कैसे जीवन भी बड़ा बोझ हुआ

मैं सोच कर हैरान हुआ |

कितनी कहानी फिल्माईं

कोई सही कोई गल्प लगी

पर देखने में बुरा क्या है

कला की अनमोल निधी सहेजी है |

यही सब विचार मन में रहते हैं

उन को उम्दा रंग मंच मिला

यदि दर्शक साहित्यिक मिले

चार चाँद लगे प्रस्तुति में सप्त रंग छाए |

मन को पुरूस्कार देने लायक समझा

 मेहनत सफल हुई कलाकारों  की

जीवन में नव् चेतना का संचार हुआ

नया आयाम देखा उनमें |

कितना परीश्रम किया समूह ने

 यही उद्देश्य रखा सबके जीवन  में

कभी हार  नहीं मानेगे

 अपने को सफल कलाकार बनाने में |

आशा सक्सेना

 

3 टिप्‍पणियां:

  1. कलाकार के मनोभाव का सुंदर विवेचन

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  2. धन्यवाद बेनामी जी टिप्पणी के लिए |

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  3. वाह ! एक कलाकार के अंतर में यही मनोभाव होते हैं ! सुन्दर रचना !

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