30 दिसंबर, 2022

सपना मेरा




                                                        आज सुबह होने के पहले 

 एक सपना देखा मैंने 

 सुन्दर सी  पहने हुए थी 

 परियों सी  पोशाक  |

पंख लगाए रंग  बिरंगे  

 तितलियों से ले कर  

 उड़ी जा रही नीलाम्बर में 

कोई न था साथ मेरे |

पहले तो भय लगा 

पर ऊपर जाते ही

 वह तिरोहित हुआ 

उड़ी और बेग से |

अचानक देखा  एक अजनबी

    राह रोके  खड़ा था 

उसने पूंछा  जाती हो कहाँ 

किससे  मिलने |

मैं कहीं भी जाऊं 

तुम्हें इससे क्या 

हूँ परियों की शहजादी  

 घूमने निकली हूँ |

जानना चाहती हूँ 

समस्याएं  प्रजा की 

कितने परिवर्तन हुए 

   किसकी सलाह से |

किसी ने की थी  शिकायत 

मैं  जानना चाहती हूँ 

है यह किसकी  हिमाकत 

उसे शीघ्र ही बंदी बनाऊंगी |

 साथ ले जाऊंगी 

सजा दिलाऊंगी 

जैसे ही वह  दिखेगा  

हथकड़ियां पहनाऊँगी |

  बंदी बना  कर ले जाऊंगी 

वह  हंसा और बोला 

कहीं वह  मैं तो नहीं 

जिसे तुम खोज रही थीं  |

चलो साथ चलता हूँ  

तुम्हारे हाथ पकड़

सूर्य  का आगमन हुआ 

 चिड़ियाँ चहकीं नींद टूट गई 

सपना अधूरा रह गया |

जिसे साथ ले जाना था 

वही मेरे पास खड़ा था  

मैं चौंकी सकुचाई  

क्या तुम ही थे |

आशा सक्सेना 


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