जीने की तमन्ना थी आज
खुले आसमान के नीचे
मन ही मन ख़ुश हूँ
इस अवसर को पाकर |
कभी सोचा न था
मेरी मुराद भी पूरी होगी
मुझे कुछ भी न चाहिए
मैंने जो चाहा मिल गया है|
मैंने थोड़ा सा प्रयत्न भी
किया था मन से
तुम्हारी सलाह भी मानी
ईश्वर की आराधना की |
यही मुझे फलदाई हुई
जीवन सुखी जीने के लिए
जितनी आवश्यकता थी
वही जब पूरी हो गई
अधिक की चाह नहीं रही |
यही प्रयत्न किया जो सफल रहा
अधिक की लालसा न की
संतुष्ट मन की चमक
चहरे पर आई सौभाग्य से |
मैंने धन्यवाद किया
प्रभू का पूरे दिल से
हुई सफल खुश हाल जिन्दगी जीने में
जो चाहा वह पाया भाग्य से |
आशा
मन की मुराद पूरी हुई ! प्रभु का धन्यवाद तो करना ही चाहिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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