कहा तो यही जाता है
प्याए दो प्यार मिलेगा
यह सच नहीं है पर उसने परिणाम न सोचा
वह आगे कदम बढ़ाकर रोई |
जीवन में कष्टों के सिवाय
उसे कुछ नहीं मिला
जो पहले मिठास से भरी
बाते करते थे उनने ही
मुंह फेर लिया है |
वह अब सोचती है
जो चाहा उसने वही किया
किसी की सलाह नहीं मानी
नफा हो या नुकसान
की मनमानी वहीं वह चूकी |
जो सोचा हुई उससे दूर
मन का शीशा दरक गया
मन को बड़ा कलेश हुआ
अरे यह क्या हुआ
उसने ठोकर खाई |
फिर भी देख परिणाम
सोचा उसे क्या मिला
यदि पहले ही सतर्क हो जाती
यह दिन न देखना पड़ता
उसे क्या मिला |
आशा
मन को छूते भाव ... बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नासवा जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंजीवन सुख दुख का फेरा ! कभी शाम कभी सवेरा !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएं