04 फ़रवरी, 2023

वे सुनहरे बीते दिन




 

क्या तुमने सोचा कभी

 किसी ने मनुहार किया न किया

पर मेरे मन में प्यार की घंटी बजी

मैंने उसको अपना समझ अहसास किया |

अपने दिल में सजाए रखा

उस फूल को जो बरसों किताब में सहेजा  था

उसकी भीनी खुशबू फैल  जाती

उन यादों की तरह जो तुम से जुड़ी थीं |

मुझे कल की यादों में ले जातीं

अब मैं  सोचती हूँ जब बीती यादों में खो जाती हूँ

वे दिन भी क्या दिन थे

समय का ध्यान ही नहीं रहता था

 वह  कब  निकल जाता ध्यान ही नहीं रहता था |

उन दिनों में जब खो जाती हूँ

आज भी उस  शाम की वे यादे भूल नहीं पाती

मैं बीते कल में खो जाती हूँ |

आशा सक्सेना 

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