अथाह जल देखा समुद्र का
वह होता नीला आसमान सा
जल की कमीं कभी न होती
पर वहां जल मीठा नहीं होता |
प्यासा पथिक आता जब पास उसके
उसे जल बिना पिए ही लौटना पड़ता
लवण निकाले जाते उसके पानी से
जलचरों का जीवन पालन होता वहां|
समुद्र में जल पोतों से व्यापार होता
एक देश से दूसरे को
जल के बादल हैं वाहक पानी के
जब तापमान अधिक होता वाष्प बनती |
मौसम बदलते ही आसमान में बादल छा जाते
आपस में जब टकराते
बादलों का गर्जन तर्जन होता जल बरसता |
आशा सक्सेना
समुद्र के जल से कब किसकी प्यास बुझी है ! सुन्दर रचना !
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