20 फ़रवरी, 2023

कैसे मिल पाए




मन ना हुआ झांकना बंद करने का
हुई बड़ी प्यारा बाते इशारों में
चिलमन के पीछे से झांकना उसका
मनना हुआ उठने का वहां से |
वह क्या चाहती थी कह ना सकी
मन ने हाथों के इशारे से पर
थी बेकरार आपस में बातें करने को
उसके इशारे बता रहे थे वह कहाँ मिले |
कौन सा रंग पहन कर आएगी
कहाँ और कब आएगी
समय का ध्यान यदि ना रखा
बहुत कठिन होगा घर से बाहर निकलना
गली के कौने पर आकर मिलना
यदि किसी ने देख लिया
बहुत शामत आ जाएगी तुम ना समझ पाओगे |
ना चाहो छत पर पर आकर मिलना
वहां तो अधिक कठिनाई नहीं होगी
तुम बेआवाज आना चुपके से

आशा सक्सेना

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2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना ! लेकिन रचना के कथ्य के साथ तस्वीर का कोई साम्य दिखाई नहीं दिया मुझे !

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    1. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |उस दिन उज्जैन में कोई प्रोग्राम था |

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