24 मार्च, 2023

साथी कैसा हो





                                                                         साथी  ऐसा हो 

जिसे भले बुरे का हो ज्ञान 

समझाने का तरीका 

हो सरल प्रेम भरा |

जो मुझे समझे अपना 

दुनिया है मतलब की 

सब भूल जाते मतलब निकलते ही 

उनकी आवश्यकता नहीं मुझको |

व्यर्थ की बातों  में रूचि ना  हो जिसकी  

जिस पर हो पूरा विश्वास मुझे 

 मन की हर बात उसे बता पाऊँ 

इधर उधर की बातों से

 ना हो मन  विचलित उसका  

विचलित मन हो तब क्या करें   

समय यूँ ही व्यर्थ हो जाता है 

अपने हाथ कुछ भी नहीं आता 

   समय हाथ से फिसल जाता |

ऐसे  में मन उलझ जाए तो  वह  चेताए 

 ऐसे  जीवन का होगा क्या उपयोग 

जीवन का  रंग बे रंग हो जाएगा 

पृथ्वी  पर  भार बढ़ेगा |

आशा सक्सेना 

8 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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