25 मार्च, 2023

सुख दुःख की दूरी समझी


 





किसी से क्या चाहिए जब

अपनों ने  ही साथ ना  दिया 

कभी दो शब्द स्नेह  के

सुनने को तरसते  हम  भी  |

हम  घर से दूर रहे

किसी से ना की अपेक्षा कोई

अपने में सक्षम रहे आज तक 

किसी पर बोझ  नहीं रहे |

जीवन भरा कठिनाइयों से

सुख के पल देखे ना देखे  

डेरा डाला दुःख ने जीवन में 

सुख दुःख की दूरी देखी |

  बात समझ में आई

सुख के सब साथी होते 

दुख में  कोई  साथ नहीं  देता 

तब साहस का ही सहारा होता  | 

कठिनाइयों से  भागने  से  लाभ क्या  

जब अकेले ही रहना है 

जब तक रहा साथ तुम्हारा जीवन में विविध रंग रहे

कभी किसी अभाव का हुआ ना एहसास |

कब सांस बंद हो जाएगी  मालूम नहीं 

सांस रुकने के पहले शेष काम करना हैं

 कोई कार्य अधूरा ना रहे यही सोचना है |

अपने तरीके से  जीवन जिया है अब तक

बंधन नहीं चाहिए कोई

 और यही है प्रार्थना प्रभू से 

उनकी कृपा रहे सब  पर 

आशा सक्सेना   |

6 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी व्यथा खुद से ही कहते हृदय का भावपूर्ण और मार्मिक संवाद आशा जी।सुख के सब साथी दुख में ना कोय 🙏🙏

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  2. वाह ! बहुत सुन्दर सृजन ! बढ़िया रचना !

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