सीता राम कहते
कष्टों से दूर रहते
मन होता एकाग्र आसानी से
राम श्याम को याद कर
जीवन कटता आसानी से
जो शिक्षा मिली उनसे
जीवन सरलता से आगे बढ़ा
उन अनुभवों को अपने जीवन में उतारा
ज्ञान की नदिया में बहते गए
जीवन सार्थक हुआ उनका |
जिसने कभी भजन ना किये होगे
मन पर बोझ रहा होगा
बड़ों की सीख ना मान कर
अनुभवों को ना स्वीकार कर |
दूरी हो जाएगी अधिक भगवान् से
मन बहुत दुखी होगा
दूरी मिट नहीं सकेगी
जब भजन होगा जीवन शांति से चलेगा |
आशा सक्सेना
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
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