09 मार्च, 2023

मन ने समझाया








                                                                आज जब गीत गाए 

महफिल में सपने सजाए 

मन ने आत्म सात किये 

यही कहा  सबने  

यह कैसी रीत अपनाई |

गैरों को अपनाया मन से 

अपनों से दूरी बढ़ाई

आखिर क्या सोचा मन में

कविता किसने दी सलाह कैसी 

मेरी  समझ ना आई

कविता में सब को अपनाया 

\मेरे  से कोसों दूर रहे 

कभी मन से कारण सोचा होता 

यदि समझ लिया होता मुझको 

दूरी नजदीकियों में  बदल जाती

पूरी जब ये होतीं  

मन को ख़ुशी मिलती

और नजदीकिया रंग लातीं

प्यार में बदल जातीं|

आशा सक्सेना 

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